Holy Scriptures

Wednesday, July 15, 2020

What are the benefits of Nag Panchami Puja?

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है। लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है। नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं।
आधिकारिक नाम   - नाग पंचमी व्रत
    अनुयायी          - हिन्दू, भारतीय, भारतीय  
  प्रवासी  प्रकार     - हिन्दू
उद्देश्य                 -सर्वकामना पूर्ति

नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है। इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।


शास्त्र विधि विरुद्ध साधना पतन का कारण

पवित्र गीता अध्याय 9 के श्लोक 23, 24 में कहा है कि जो व्यक्ति अन्य देवताओं को पूजते हैं वे भी मेरी (काल जाल में रहने वाली) पूजा ही कर रहे हैं। परंतु उनकी यह पूजा अविधिपूर्वक है(अर्थात् शास्त्रविरूद्ध है भावार्थ है कि अन्य देवताओं को नहीं पूजना चाहिए)। क्योंकि सम्पूर्ण यज्ञों का भोक्ता व स्वामी मैं ही हूँ। वे भक्त मुझे अच्छी तरह नहीं जानते। इसलिए पतन को प्राप्त होते हैं। नरक व चैरासी लाख जूनियों का कष्ट। जैसे गीता अध्याय 3 श्लोक 14-15 में कहा है कि सर्व यज्ञों में प्रतिष्ठित अर्थात् सम्मानित, जिसको यज्ञ समर्पण की जाती है वह परमात्मा (सर्व गतम् ब्रह्म) पूर्ण ब्रह्म है। वही कर्माधार बना कर सर्व प्राणियों को प्रदान करता है। परन्तु पूर्ण सन्त न मिलने तक सर्व यज्ञों का भोग(आनन्द) काल (मन रूप में) ही भोगता है, इसलिए कह रहा है कि मैं सर्व यज्ञों का भोक्ता व स्वामी हूँ।
मनुष्य जीवन का मुख्य उदेश्य मोक्ष प्राप्ति है - पूर्ण सतगुरु रामपाल जी महाराज
ये मनुष्य जीवन हमे पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब की भक्ति करने के लिए प्राप्त हुआ है। इस मनुष्य का एक मात्र उदेश्य मोक्ष की प्राप्ति है। सर्व पवित्र ग्रन्थों का सार येही है की एक पूर्ण संत से नाम दीक्षा प्राप्त कर के इस जनम मृत्यु के रोग से मुक्ति पानी चाहिए। पूर्ण संत की यह पहचान है की वो तीन नाम तीन चरण में देता है और उसको ये नाम दान देने की अनुमति होती है।

सतगुरु रामपाल जी महाराज विश्व में एक मात्र संत हैं जो की अपने शिष्यो को सत्नाम दे कर मोक्ष की प्राप्ति करवा सकते हैं।

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Wednesday, July 8, 2020

What is the education ?

शिक्षा का सही अर्थ

आदरणीय अब्दुल कलम पूर्व राष्ट्रपति द्वारा-
शिक्षा से मानव का व्यक्तित्व संपूर्ण, विनम्र और
संसार के लिए उपयोगी बनता है। सही शिक्षा से
मानवीय गरिमा, स्वाभिमान और विश्व बंधुत्व में
बढ़ोतरी होती है। अंतत: शिक्षा का उद्देश्य है-सत्य
की खोज। इस खोज का केंद्र अध्यापक होता है, जो अपने विद्यार्थियों को शिक्षा के माध्यम से जीवन में और
व्यवहार में सच्चाई की शिक्षा देता है।
छात्रों को जो भी कठिनाई होती है,
जो भी जिज्ञासा होती है, जो वे जानता चाहते हैं, उन
सबके लिए वे अध्यापक पर ही निर्भर रहते हैं।
यदि शिक्षक के मार्गदर्शन में प्रत्येक
व्यक्ति शिक्षा को उसके वास्तविक अर्थ में ग्रहण कर
मानवीय गतिविधि के प्रत्येक क्षेत्र में उसका प्रसार
करता है तो मौजूदा 21वीं सदी में दुनिया काफी सुंदर
हो जाएगी। 
आज की युवा पीढ़ी ऐसी शिक्षा प्रणाली चाहती है
जो उसके खोजी और सृजनशील मन को सबल बनाने के साथ-साथ उसके सामने चुनौती प्रस्तुत करे। देश
का भविष्य उन पर टिका हुआ है। वे वर्तमान में
शिक्षा प्रणाली के संबंध में सोच-विचार करना चाहते
हैं।
 एक अच्छी शिक्षा प्रणाली में ऐसी क्षमता होनी चाहिए जो छात्रों की ज्ञान प्राप्ति की तीव्र जिज्ञासा को शांत कर सके।
शैक्षणिक संस्थानों को ऐसे पाठ्यक्रम बनाने के लिए खुद
को तैयार करना चाहिए जो विकसित भारत
की सामाजिक और प्रौद्योगिकी संबंधी आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हाें। वर्तमान पाठ्यक्रम में विकास
कार्यो की गतिविधियों को अनिवार्यत: स्थान
दिया जाना चाहिए ताकि ज्ञान समाज
की भावी पीढ़ी पूरी तरह से सामाजिक परिवर्तन के
सभी पहलुओं के अनुकूल हो सके।
विज्ञान मानवता को ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान है।
तर्क-आधारित विज्ञान समाज की पूंजी है। हम
विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, राजनीति,
नीति-निर्माण, धर्मशास्त्र, न्याय जैसे किसी क्षेत्र में
कार्यरत रहें, हमें आम लोगों की सेवा करनी ही होगी,
क्योंकि ज्ञान और सभी प्रकार के कार्यो का मूलमंत्र
मानव-कल्याण है। विज्ञान के अंतर्गत जिज्ञासा प्रकट
की जाती है और प्रकृति के नियमों में कठिन परिश्रम
और अनुसंधान से उन जिज्ञासाओं का निदान
ढूंढा जाता है। 
विज्ञान एक रोमांचकारी विषय है और
एक वैज्ञानिक के लिए समूचे जीवन का मिशन। विज्ञान
में निपुण होने के लिए गणित का ज्ञान आवश्यक है।
गणित और विज्ञान के संयोग से एक
दीप्ति पैदा होती है। जरूरी यह होता है कि सिद्धांत
को सामने रख कर प्रयोग किया जाए। जो प्रश्न
छात्रों के मन में विज्ञासा उन्पन्न करते हैं और यदि वे
विज्ञान से जुडे़ हैं तो छात्र विज्ञान की ओर आकर्षित
होते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी में प्रगति से
दुनिया सिमट गई है। दुनिया की वास्तविक जटिल
समस्याओं के निदान के लिए दुनिया के वैज्ञानिकों के
बीच तालमेल होना अनिवार्य है। 
प्राचीन काल में भारत को शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान और दर्शन का गढ़ माना जाता था, किंतु कुछ दशकों से भारत के वैज्ञानिकों का रुख पूर्व से पश्चिम की ओर हो गया है। देर से ही सही, पश्चिमी देशों के वैज्ञानिक फिर भारत की ओर आकृष्ट होने लगे हैं। हमें भारत को विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में श्रेष्ठता का केंद्र बनाने के लिए और श्रम करना होगा। 
भारत 2020 तक अपने-आपको एक विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन में जुटा हुआ है। जिस संसाधन के बल पर यह मकसद हासिल होगा वे हैं पच्चीस वर्ष से कम उम्र के देश के देश के 54 करोड़ नौजवान।
बच्चे और युवक किसी देश के भविष्य की तस्वीर होते हैं।
हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण, सशक्त और संसाधनों से भरा हुआ वर्ग युवकों का है जिनमें आसमान
की बुलंदियों का छू लेने की आकांक्षा धधक रही है।
यदि उनकी ऊर्जा को सही दिशा दी जाए तो उससे
ऐसी गतिशीलता पैदा होगी जो राष्ट्र को विकास के
तेज वाहन में दौड़ा देगी। युवकों को अपनी योजना और
विकास प्रक्रिया का केंद्र बिंदु मानते हुए हमें इस
बहुमूल्य मानव संसाधन की देखरेख करने
की आवश्यकता है। 
मैंने भारतीय और विदेशी बच्चों से
बातचीत के दौरान देखा कि उनमें एक जैसी आकांक्षा है
और वह है- शांतिपूर्ण, खुशहाल, सुरक्षित देश में
जिंदगी जीना।
 सृजनशीलता मानव-चिंतन का आधार है।
चाहे कितनी भी गति और स्मृति वाले कंप्यूटर बन जाएं,
मानव चिंतन का स्थान हमेशा सबसे ऊपर रहेगा।
सृजनशीलता जैसा गुण इंसान में सदा मौजूद रहेगा और
प्रौद्योगिकी से प्राप्त होने
वाली गणना क्षमता जैसा मजबूत हथियार इंसान के
पास होगा। उसका उपयोग वह इस दुनिया को और
खूबसूरत बनाने की अपनी योजना को साकार करने में
करेगा।
पूर्ण संत की विचार शक्ति
  🙏🚨🌹🚨🙏

संत रामपाल दास जी द्वारा बताया सर्व ज्ञान तथा सर्व साधना व भक्ति का ज्ञान शास्त्रोक्त है।
यही कारण है कि संत रामपाल दास जी के अनुयाईयों को परमात्मा की भक्ति से सर्व लाभ मिल रहे हैं जो शास्त्राविरूद्ध साधकों को नहीं मिलते। जिस कारण से इनके अनुयाईयों की सँख्या में अद्वितीय वृद्धि हो रही है। 
    संत रामपाल जी के विचारों से मानव समाज में सुधार आएगा। गिरती मानवता का उत्थान होगा। देश के लड़के-लड़की अपनी संस्कृति पर लौटेंगे। भारत देश में अमन होगा। सब मिलकर एक-दूसरे के दुःख को बाँटेंगे। सुखमय जीवन जीऐंगे। रेप व यौन उत्पीड़न की घटनाऐं समूल नष्ट हो जाएंगी।
   
 रेप (बलात्कार), यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए भारत सरकार तथा राज्य सरकारों ने भी सख्त कानून बनाए हैं। मौत तथा आजीवन कारावास तक प्रावधान किया है। अच्छी बात है। कानून भी काम करता है, परंतु नहीं लगता है कि सख्त कानून से यौन अपराध कम हो जाऐंगे। ये महज सरकार का जनता को शांत करने का उपाय है। 
    
 जैसे हत्या के अपराधी को मौत तथा आजीवन जेल की सजा का प्रावधान है, परंतु प्रतिवर्ष हत्या के अपराध बढ़ रहे हैं। हमारा मानना है कि कानून कमजोर वर्ग पर ही लागू होता है क्योंकि बड़े लोग कानून की गिरफ्त से बच जाते हैं। मुकदमा दर्ज तक नहीं होता। ऐसे अपराध उन बड़े लोगों के बच्चे ही करते हैं। कानून से अधिक भय समाज का होता है। समाज के भय से भी व्यक्ति बुराईयों से डरता है क्योंकि उसको पता होता है कि तुझे समाज में रहना है। सत्संग के अभाव से मानव समाज में ही धार्मिक विचारों की कमी हो रही है। जो आज जवान हैं, वे ही वृद्ध होकर बड़े-बूढ़े कहलाऐंगे। उनके पास ही आध्यात्मिक विचार नहीं होंगे तो वे बच्चों को क्या शिक्षा देंगे। परंतु जब मानव (स्त्री/पुरूष) को परमात्मा के विधान का ज्ञान होगा, तब वह सर्व पापों से बचेगा। अपराध करना विष (जहर) खाने के तुल्य समझेगा।
 
  वह संत रामपाल दास जी महाराज के सत्संगों से हो सकता है। सत्संग के माध्यम से अच्छे विचार जनता को सुनने को मिलेंगे तो इस समस्या का समाधान पूर्ण रूप से हो जाएगा। संत रामपाल दास जी महाराज द्वारा दिए जा रहे सत्संग-विचार के वचनों का जादुई प्रभाव पड़ता है।

🌹🙏🌹
अवश्य देखें संत रामपाल जी के मंगल प्रवचन 
साधना टी. वी. पर शाम 7:30 बजे। 🙏🙏🙏

Wednesday, July 1, 2020

Who is the true God?

  Who is the Supreme God


God can forgive your sins - 
Yajur Veda Adhyay 8 Mantra 13
Almighty God Kabir can forgive the sins of His worshipper. He even forgives/destroys the most heinous sins. 

Holy Bible proves that Supreme God is Almighty God Kabir 🙏
But no one despises Him
Because always comes here in another form
For more information watch 👀 Sadhna TV 7:30 PM everyday
In the Holy Quran Sharif, Lord Sashir is and his name is Kabir Surat Furqani 25 verses 52 to 59, it is written that Kabir God created the universe in six days and visited the throne on the seventh day. Please watch Sadhana on TV from 7:30 to 8:30 PM. 
The divine is a warm and is the same as the Lord King (Yanturized Chapter 5, Mantra 1, 6, 8, Yazurveda Chapter 1, Mantra 15, Yazurveda Chapter 7 Mantra 39, Rig Weddin 


Kabir God is the enemy of sin, sins are destroyers. Kabir God is the bringer of complete peace - Yajurveda Chapter 5 Mantra 32
Must Watch 👇👇
Sadhana TV 7.30 to 8.30

Wednesday, June 17, 2020

God proof in Quran

                  Quran

Allah Kabir in Holy Quran Sharif, Surat Furkani 25, verse no. 52-59

पवित्र कुरान प्रमाणित करती है अल्लाह कबीर साहेब ही हैं।
सुरत-फुर्कानि नं. 25 आयत 52
कबीर ही पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अडिग रहना।


The knowledge giver of Quran Sharif is giving information about some other AllahTala, about Supreme God, Allah Kabir. He says ‘O-Prophet trust that ‘Zinda’ who met you inform as ‘Zinda Saint’, trust Him, who never dies, means HE is immortal, and praise Him; means HE is different than the knowledge giver of Quran Sharif, whom he is telling to praise; that God. He destroys the sins of His devotees. 


Wednesday, June 10, 2020

AlmightyGod In TheBible

🌟अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB)
परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है।
परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।
🌟पवित्र बाइबिल (उत्पत्ति ग्रंथ) में लिखा है कि परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया। इससे सिद्ध है कि प्रभु भी मनुष्य जैसे शरीर युक्त है तथा छः दिन में सृष्टी रचना करके सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।

Friday, June 5, 2020

GodKabir PrakatDiwas 2020

ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार।
मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।
स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है।
कबीर साहेब प्राकाट्य
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
यह लीला केवल कबीर परमात्मा ही करते हैं।

Thursday, June 4, 2020

Kabir Prakat Diwas Not Jayanti

📽️ जानिए अद्भुत रहस्य!
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी का माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता। वह स्वयं प्रकट होते हैं अपना तत्वज्ञान देने के लिए।

📽️ कबीर परमात्मा ही बन्दीछोड़ कहलाते हैं। क्योंकि वो काल की बंद, कैद से छुड़ाने के लिए ही धरती पर सतलोक से चलकर आते हैं। देखें जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का महा सत्संग साधना चैनल पर।
गरीब, अनंत कोटि ब्रह्मांड में, बंदीछोड़ कहाय। 
सो तो एक कबीर हैं, जननी जन्या न माय।।
📽️ कबीर परमात्मा सन् 1398 (विक्रमी संवत् 1455) ज्येष्ठ मास शुद्धि पूर्णमासी को ब्रह्ममुहूर्त में अपने सत्यलोक से सशरीर आकर बालक रूप बनाकर लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर विराजमान हुए। यह उनका प्रकट दिवस है। ज़रूर सुनें इस पावन अवसर पर अद्भुत सत्संग साधना tv पर।

Wednesday, June 3, 2020

DeepKnowlegde Of GodKabir

True God Kabir Saheb explained the correct way of worship which is written in our religious scriptures like in Vedas, Geeta.
The religious leaders of all religions have told us till date that Allah(God) is formless,only his light can be seen.But Kabir denied this and said that God is real,He is in the form of human being,that is,He is in form.

Tuesday, June 2, 2020

DivinePlay Of GodKabir

To save millions of lives through the atrocities of Shekhtaki
Ignorant Sheikh Taki tried to kill God Kabir 52 times,but on every effort, God Kabir took the crowd in his refuge by true spritual knowledge and saved millions of lives.
Writing thirteen cars papers*     
Once the King of Delhi put a condition that if Kabir ji writes thirteen cars on paper in two and a half days, then I will accept him as God. God spun a stick on the cars and wrote all the papers.
Taki
Kabir ji himself discussed with Gorakhnath ji who came for spiritual debate with Swami Ramanand ji, Guru of Kabir Ji and defeated Gorakhnath ji and introduced him to true knowledge.

Monday, June 1, 2020

Miracles Of GodKabir

एक दिन राजा सिकन्दर लोधी ने कबीर परमात्मा को कहा कि यदि तू खुदा है तो मृत गाय को जीवित कर। तब कबीर परमात्मा ने मृत गाय को जीवित करते हुए कहा,
  "गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह।
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाह।।"

"गोरखनाथ से गोष्ठी"
एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने।

"भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना"
एक समय तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। सत्संग के पश्चात भण्डारा शुरू हुआ। भंडारे में भोजन करने वाले व्यक्ति को वेद के चार मन्त्र बोलने पर प्रवेश मिल रहा था। कबीर साहेब की बारी आई तब थोड़ी सी दूरी पर घास चरते हुए भैंसे को हुर्रर हुर्रर करते हुए बुलाया। तब कबीर जी ने भैंसे की कमर पर थपकी लगाई और कहा कि भैंसे इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने छः मन्त्र सुना दिए।
"जगन्नाथ के पांडे की कबीर जी द्वारा रक्षा"
जगन्नाथ पुरी में एक रामसहाय पाण्डा खिचड़ी का प्रसाद उतार रहा था। गर्म खिचड़ी उसके पैर पर गिर गई। उस समय कबीर जी अपने करमण्डल से हिम जल रामसहाय पाण्डा के पैर पर डाला। उसके तुरंत बाद राहत मिलते ही पैर ठीक हो गया। उस समय कबीर जी ना होते रामसहाय पाण्डा का पैर जल जाता।
गरीबदास जी देते हैं -
पग ऊपरि जल डालकर, हो गये खड़े कबीर। गरीबदास पंडा जरया, तहां परया योह नीर।।
जगन्नाथ जगदीश का, जरत बुझाया पंड। गरीबदास हर हर करत, मिट्या कलप सब दंड।।
"मृत गऊ को जीवित करना"
सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। 
तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी
तथा कहा - 
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह। 
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि।
गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।
"सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़ना"
परमात्मा कबीर ने अपने भक्त की कटी हुई गर्दन वापिस जोड़ दी थी।
 आओ सेउ जीम लो,यह प्रसाद प्रेम।
 सिर कटते हैं चोरों के,साधों के नित्य क्षेम।।
 ऐसी-2 बहुत लीलाएँ साहेब कबीर (कविरग्नि) ने की हैं जिनसे यह स्वसिद्ध है कि ये ही पूर्ण परमात्मा हैं। सामवेद संख्या नं. 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 2 में कहा है कि कविर्देव अपने विधिवत् साधक साथी की आयु बढ़ा देता है।
"काशी का अद्भुत भंडारा"
 शेखतकी मुस्लिम पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी जगह झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी तीन दिन का भंडारा करेंगे, सभी आना। भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने तीन दिन का मोहन भंडारा कराया और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हुए।
"मृत लड़के कमाल को जीवित करना"
शेखतकी का कहना था कि अगर कबीर अल्लाह है, तो किसी मुर्दे को जीवित कर दे तो अल्लाह मान लूंगा। सुबह एक 10-12 वर्ष की आयु के लड़के का शव पानी में तैरता हुआ आ रहा था। शेखतकी ने जंत्र-मंत्र से प्रयत्न किया लेकिन लड़का जीवित नहीं हुआ। तब कबीर ही था कि शव में कम्पन हुई तथा जीवित होकर बाहर आ गया।
‘‘शिशु कबीर की सुन्नत करने का असफल प्रयत्न’’
शिशु रूपधारी कबीर देव की सुन्नत करने के लिए जब नाई कैंची लेकर गया तो परमेश्वर ने अपने लिंग के साथ एक लिंग और बना लिया। फिर उस सुन्नत करने को तैयार व्यक्ति की आँखों के सामने तीन लिंग और बढ़ते दिखाए कुल पाँच लिंग एक बालक के देखकर वह सुन्नत करने वाला आश्चर्य में पड़ गया। शिशु को बोलते सुनकर तथा पाँच लिंग बालक के देख कर नाई ने अन्य उपस्थित व्यक्तियों को बुलाकर वह अद्धभुत दृश्य दिखाया। सर्व उपस्थित जन समूह यह देखकर अचम्भित हो गया।
‘‘शिशु कबीर परमेश्वर का नामांकन"
जब कबीर साहेब का नाम रखने के लिए कुरान शरीफ पुस्तक को काज़ी ने खोला। प्रथम नाम ‘‘कबीरन्’’ लिखा था। काजियों ने सोचा इस छोटे जाति वाले का कबीर नाम रखना शोभा नहीं देगा। पुनः कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो।
सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।।

पूर्ण परमात्मा "सत कबीर" हैं।
हक्का कबीर करीम तू बेएब परवरदिगार।।
‘‘राग तिलंग महला 1‘‘ पंजाबी गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721
नानक देव जी कहते हैं:-
हे सर्व सृष्टि रचनहार, दयालु ‘‘सतकबीर‘‘ आप निर्विकार परमात्मा हैं।

Sunday, May 31, 2020

52 Cruelities On GodKabir

"खूनी हाथी से मरवाने की व्यर्थ चेष्टा"
शेखतकी के कहने पर दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने कबीर परमेश्वर को खूनी हाथी से मरवाने की आज्ञा दे दी। शेखतकी ने महावत से कहकर हाथी को एक-दो शीशी शराब की पिलाने को कहा।
हाथी मस्ती में भरकर कबीर परमेश्वर को मारने चला। कबीर जी के हाथ-पैर बाँधकर पृथ्वी पर डाल रखा था। जब हाथी परमेश्वर कबीर जी से दस कदम (50 फुट) दूर रह गया तो परमेश्वर कबीर के पास बब्बर शेर खड़ा केवल हाथी को दिखाई दिया। हाथी डर से चिल्लाकर (चिंघाड़ मारकर) भागने लगा। परमेश्वर के सब रस्से टूट गए। उनका तेजोमय विराट रूप सिकंदर लोधी को दिखा। तब बादशाह ने कांपते हुए अपने गुनाह की माफी मांगी।
कबीर परमेश्वर को शेखतकी ने उबलते हुए तेल में बिठाया। लेकिन कबीर साहेब ऐसे बैठे थे जैसे कि तेल गर्म ही ना हो। सिकन्दर बादशाह ने तेल के परीक्षण के लिए अपनी उंगली डाली, तो उसकी उंगली जल गई। लेकिन अविनाशी कबीर परमेश्वर जी को कुछ भी नहीं हुआ।
परमात्मा के शरीर में कीले ठोकने का व्यर्थ प्रयत्न"
कबीर साहेब को मारने के लिए एक दिन शेखतकी ने सिपाहियों को आदेश दिया की कबीर साहेब को पेड़ से बांधकर शरीर पर बड़ी बड़ी कील ठोक दो। लेकिन जब कील ठोकने चले तो सिपाहियों के हाथ पैर काम करना बंद हो गए और वो वहाँ से भाग गए और शेखतकी को फिर परमात्मा कबीर साहेब के सामने लज्जित होना पड़ा।
"मुर्दे को जीवित करने की परीक्षा लेना"
दिल्ली के बादशाह सिकन्दर लोधी के पीर शेख तकी ने कहा कबीर जी को तब अल्लाह मानेंगे जब मेरी मरी हुई लड़की को जीवित कर देगा जो कब्र में दबी हुई है। कबीर परमेश्वर जी ने अपनी समर्थ शक्ति से हजारों लोगों के सामने उस लड़की को जीवित किया और उसका नाम कमाली रखा। कबीर परमेश्वर सर्वशक्तिमान हैं।
शेखतकी ने जुल्म गुजारे, बावन करी बदमाशी,
खूनी हाथी के आगे‌ डालै, बांध जूड अविनाशी,
हाथी डर से भाग जासी, दुनिया गुण गाती है।
शेखतकी ने अविनाशी को मारने के लिए खूनी हाथी के आगे डाला। हाथी कबीर भगवान के पास जाते ही डर कर भाग गया। तब लोगों ने कबीर साहेब की जय-जय कार की। कबीर भगवान अविनाशी है।

What are the benefits of Nag Panchami Puja?

नाग पंचमी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इ...